सुकून की हसरत हम भी करते हैं, इसी चाह में तार तार हो गया हूं, सुकून की हसरत हम भी करते हैं, इसी चाह में तार तार हो गया हूं,
खोल अपने पंख तू उड़ जा नीले आकाश में खोल अपने पंख तू उड़ जा नीले आकाश में
आज फिर तेरी यादों में रोने का मन होता है। आज फिर तेरी यादों में रोने का मन होता है।
वो लम्हे चले गए जिनमें मैं तुम्हारे आने का शुक्र क्या करता था। वो लम्हे चले गए जिनमें मैं तुम्हारे आने का शुक्र क्या करता था।
छिप रहा है चाँद, पत्तों में कहीं फिर तुझसे मिलने की चमक देकर। छिप रहा है चाँद, पत्तों में कहीं फिर तुझसे मिलने की चमक देकर।
दिल की कुछ बातें जतानी नहीं होती। दिल की कुछ बातें जतानी नहीं होती।